नमस्कार मित्रों,
Utsukhindi में आप सभी का स्वागत है। मैं सुदीप चक्रवर्ती, मेरे वेबसाइट पर आने वाले समस्त आगंतुकों का हृदय से अभिनंदन करता हूँ। मैं वाराणसी (बनारस, काशी ), का रहने वाला हूँ, जो माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी हुई है।आदि युगों से बनारस को ज्ञान की नगरी कहा जाता है।आध्यात्मिक ज्ञान के अलावा देश-विदेश से लोग यहाँ विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते रहे है।वाराणसी संस्कृत विद्या का केंद्र था। छात्रों को पहले संस्कृत भाषा का ज्ञान होना आवश्यक था क्योंकि वेदों और अन्य विषयों जैसे दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, भूगोल, व्याकरण, तर्क आदि को पढ़ने के लिए इसे आवश्यक माना जाता था।
इसके साथ साथ वाराणसी एक वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्र भी था जो अपने मलमल और रेशमी कपड़े, इत्र, हाथी दांत के काम और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध था। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि वाराणसी जिज्ञासु शिक्षार्थियों का केंद्र था और है। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय इसका एक जीता जगता प्रतीक है।
आप समझ ही सकते है की मैं एक ऐसे शहर से आता हूं जहाँ उत्सुक होना स्वाभाविक, बस वही उत्सुकता इस वेबसाइट के अस्तित्व का कारण है।मेरा सभी पाठकों से यह विनम्र अनुरोध है की वह अपना सहयोग बनाये रखे, जिससे अधिक से अधिक इस वेबसाइट को उन्नत बनाने के लिए मैं कार्य कर सकूं।
आपका,
सुदीप चक्रवर्ती