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श्वेताणु और प्रतिरक्षा प्रणाली: जानें कैसे आपका शरीर संक्रमण से लड़ता है

हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किस तरह से सफेद रक्त कोशिकाओं की मदद से संक्रमण से लड़ती है? इस लेख में, हम इसके कार्य करने के तरीके और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की पूरी प्रक्रिया को समझेंगे।

White blood cells ki janakari hindi me

सफेद रक्त कोशिका क्या है?

सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs), जिन्हें श्वेताणु या ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका मुख्य कार्य शरीर को संक्रमण, रोगाणुओं (जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस) और विदेशी पदार्थों से बचाना है। सफेद रक्त कोशिकाएं हमारे रक्त और शरीर के अन्य ऊतकों में पाई जाती हैं और संक्रमण के खिलाफ रक्षा करने के लिए जिम्मेदार होती हैं।

ये कोशिकाएं विभिन्न प्रकार की होती हैं और हर प्रकार का अपना एक विशिष्ट कार्य होता है। सामान्यत: इन्हें पांच प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है:

  1. न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils): संक्रमण से सबसे पहले लड़ने वाली कोशिकाएं।
  2. लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes): इनमें T कोशिकाएं, B कोशिकाएं और नेचुरल किलर कोशिकाएं शामिल होती हैं, जो विशेष रूप से वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती हैं।
  3. मोनोसाइट्स (Monocytes): शरीर के ऊतकों में जाकर मैक्रोफेज़ में बदल जाती हैं और मृत कोशिकाओं व अवशेषों को साफ करती हैं।
  4. ईओसिनोफिल्स (Eosinophils): ये कोशिकाएं परजीवियों से लड़ने और एलर्जी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
  5. बेसोफिल्स (Basophils): एलर्जी और सूजन प्रक्रियाओं में शामिल होती हैं, और हिस्टामीन नामक रसायन छोड़ती हैं।

सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर में कैसे बनती हैं?

सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण हड्डी के मज्जा (Bone Marrow) में होता है। हड्डी का मज्जा एक नरम, स्पंजी ऊतक होता है जो हमारी हड्डियों के अंदर पाया जाता है। यहां पर हिमाटोपोएटिक स्टेम सेल्स (Hematopoietic Stem Cells) होती हैं, जो विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाओं को उत्पन्न करती हैं, जिनमें सफेद रक्त कोशिकाएं, लाल रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स शामिल हैं।

सफेद रक्त कोशिकाएं बनने की प्रक्रिया:

  1. हिमाटोपोएटिक स्टेम सेल्स (Stem Cells): हड्डी के मज्जा में मूल कोशिकाएं होती हैं जिन्हें स्टेम सेल्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं विशेष प्रकार की रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने की क्षमता रखती हैं।
  2. डिफरेंशिएशन (Differentiation): स्टेम सेल्स विभाजित होकर अलग-अलग प्रकार की रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इनमें से कुछ कोशिकाएं सफेद रक्त कोशिकाओं में बदल जाती हैं।
  3. परिपक्वता (Maturation): सफेद रक्त कोशिकाएं अपने प्रकार के अनुसार परिपक्व होती हैं और फिर रक्त में प्रवेश करती हैं। ये परिपक्व कोशिकाएं संक्रमण वाले स्थानों पर जाती हैं और रोगाणुओं से लड़ती हैं।

सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या शरीर की स्थिति के अनुसार बदल सकती है। जब शरीर में कोई संक्रमण होता है या रोगाणु प्रवेश करते हैं, तो हड्डी का मज्जा तेजी से सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है ताकि संक्रमण से प्रभावी तरीके से लड़ा जा सके।

सफेद रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल:

सफेद रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक हो सकता है, यह उनकी प्रकार और कार्य पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, न्यूट्रोफिल्स का जीवनकाल कुछ ही घंटों से लेकर कुछ दिनों तक हो सकता है, जबकि कुछ लिम्फोसाइट्स (जैसे मेमोरी B और T कोशिकाएं) वर्षों तक जीवित रह सकती हैं, ताकि वे भविष्य में रोगाणुओं से जल्दी लड़ सकें।

सारांश में, सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर के रक्षा तंत्र की मूलभूत इकाई होती हैं, जो शरीर को बीमारियों से बचाने और संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) की कार्यप्रणाली:

सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) की कार्यप्रणाली को समझाने वाला यह फ्लोचार्ट हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की जटिलता को सरल रूप में प्रस्तुत करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

1. रोगाणु का पता लगाना (Pathogen Detection)

  • शुरुआत: जब कोई विदेशी आक्रमणकारी जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, या परजीवी शरीर में प्रवेश करते हैं, तो इसे हमारे प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा देखा जाता है। ये रोगाणु शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे त्वचा, श्वसन तंत्र, या पाचन तंत्र के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं।
  • रोगाणु का पता लगाना: हमारे शरीर में पहले से मौजूद सफेद रक्त कोशिकाएं (जैसे मैक्रोफेज और डेंड्रिटिक सेल्स) इस रोगाणु को पहचानती हैं। ये कोशिकाएं शरीर में घूमते रहते हैं और किसी भी अनजान और हानिकारक तत्वों की पहचान करने का काम करती हैं।

2. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रियण (Immune Response Activation)

  • संकेत रिलीज़ (Signal Release): जब WBCs रोगाणु की पहचान कर लेते हैं, तो वे शरीर के अन्य हिस्सों में उपस्थित अन्य सफेद रक्त कोशिकाओं को संकेत भेजते हैं। ये संकेत रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जिन्हें “साइटोकाइन्स” कहा जाता है। साइटोकाइन्स अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सूचित करते हैं कि संक्रमण का स्थान कहां है और उन्हें वहां इकट्ठा होने की आवश्यकता है।
  • सूजन (Inflammation): साइटोकाइन्स के परिणामस्वरूप, रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और अधिक रक्त संक्रमण वाली जगह पर पहुंचता है। इससे सूजन होती है, जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।

3. WBC क्रिया (WBC Action)

  • न्यूट्रोफिल प्रतिक्रिया (Neutrophil Response): न्यूट्रोफिल सफेद रक्त कोशिकाओं का सबसे आम प्रकार है। ये सबसे पहले संक्रमण वाली जगह पर पहुंचते हैं और फेगोसाइटोसिस प्रक्रिया के माध्यम से रोगाणुओं को निगल लेते हैं। फेगोसाइटोसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोशिकाएं हानिकारक तत्वों को अंदर खींचकर पचा लेती हैं।
  • लिम्फोसाइट प्रतिक्रिया (Lymphocyte Response): न्यूट्रोफिल के बाद, लिम्फोसाइट्स (T और B कोशिकाएं) सक्रिय होती हैं:
    • T कोशिकाएं (T Cells): ये कोशिकाएं विशेष रूप से उन कोशिकाओं को निशाना बनाती हैं जो पहले से ही संक्रमित हैं, और उन्हें नष्ट कर देती हैं। T कोशिकाएं शरीर की रक्षा करने वाली “सेना” की तरह काम करती हैं।
    • B कोशिकाएं (B Cells): B कोशिकाएं एंटीबॉडी उत्पन्न करती हैं। ये एंटीबॉडी रोगाणु पर हमला करते हैं और उसे नष्ट करने के लिए चिह्नित करते हैं, ताकि अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाएं उन्हें आसानी से खत्म कर सकें।
  • नेचुरल किलर कोशिकाएं (Natural Killer Cells): ये कोशिकाएं उन कोशिकाओं पर हमला करती हैं जो वायरस से संक्रमित होती हैं या जिनमें कैंसर जैसी समस्याएं होती हैं। नेचुरल किलर कोशिकाएं उन्हें पहचानकर नष्ट कर देती हैं।

4. रोगाणु का उन्मूलन (Pathogen Elimination)

  • फेगोसाइटोसिस और एंटीबॉडी क्रिया (Phagocytosis and Antibody Action): जैसे-जैसे न्यूट्रोफिल और मैक्रोफेज फेगोसाइटोसिस के माध्यम से रोगाणु को निगलते हैं, एंटीबॉडी भी B कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं जो रोगाणु से चिपककर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। इससे संक्रमण खत्म होने लगता है।

5. समाधान और मेमोरी निर्माण (Resolution and Memory Formation)

  • ऊतक मरम्मत (Tissue Repair): जैसे ही रोगाणु समाप्त होते हैं, WBCs मरे हुए कोशिकाओं और मलबे को हटाने का काम करते हैं। इसके साथ ही ये कोशिकाएं ऊतकों को ठीक करने का काम भी करती हैं ताकि शरीर संक्रमण से पूरी तरह उबर सके।
  • मेमोरी निर्माण (Memory Formation): कुछ B और T कोशिकाएं, जिन्हें मेमोरी कोशिकाएं कहा जाता है, शरीर में रह जाती हैं। ये कोशिकाएं याद रखती हैं कि कौन सा रोगाणु हमला कर चुका है। अगर भविष्य में वही रोगाणु फिर से हमला करता है, तो ये कोशिकाएं तेजी से प्रतिक्रिया करती हैं और संक्रमण को जल्दी खत्म कर देती हैं। यही प्रक्रिया टीकाकरण (vaccination) के पीछे का सिद्धांत है।

6. समाप्ति (End)

  • संक्रमण समाप्त (Infection Cleared): जब सफेद रक्त कोशिकाएं रोगाणुओं का सफाया कर देती हैं, तो सूजन कम हो जाती है, और प्रभावित क्षेत्र धीरे-धीरे सामान्य कार्य पर लौट आता है। प्रतिरक्षा प्रणाली सफलतापूर्वक शरीर की रक्षा करती है।

यह प्रक्रिया दिखाती है कि सफेद रक्त कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लगातार काम करती हैं।

निष्कर्ष:

इस लेख में हमने जाना कि सफेद रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यह शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से कैसे बचाती हैं। ये कोशिकाएं हड्डी के मज्जा में बनती हैं और पाँच मुख्य प्रकारों में विभाजित होती हैं, जिनमें से हर एक का विशेष कार्य होता है। सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या शरीर की स्थिति के अनुसार बदलती रहती है और इनकी कमी से शरीर की सुरक्षा कमजोर हो जाती है। स्वस्थ जीवनशैली से इन कोशिकाओं की कार्यक्षमता को बनाए रखा जा सकता है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।

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Sudeep Chakravarty

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नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम सुदीप चक्रवर्ती है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ । नए-नए विषयो के बारे में पढ़ना, लिखना मुझे पसंद है, और उत्सुक हिंदी के माध्यम से उन विषयो के बारे में सरल भाषा में आप तक पहुंचाने का प्रयास करूँगा।

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