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सूडान समस्या – देश में चल रही सैन्य प्रतिद्वंद्विता और राजनीतिक अशांति की सम्पूर्ण व्याख्या (The Sudan problem – A comprehensive explanation of the ongoing military rivalry and political unrest in the country)

राजधानी खार्तूम और दारफुर क्षेत्र में संघर्ष साथ ही सूडान की सैन्य सरकार के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच एक सशस्त्र संघर्ष 15 अप्रैल 2023 को शुरू हो गया ।

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सूडान में राजनीतिक अशांति और सैन्य प्रतिद्वंद्विता के कारण व्यापक रूप से अस्थिरता का माहौल है। सूडानी सशस्त्र बलों और देश के मुख्य अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच संघर्ष में अब तह करीब ४०० से अधिक लोग मारे गए हैं। खार्तूम में राष्ट्रपति महल और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नियंत्रण को लेकर लड़ाई चल रही है। निम्नलिखित लेख में हम सूडान में वर्तमान स्थिति के कारणों और परिणामों की व्याख्या करेंगे।

पृष्ठभूमि:

सूडान के सैन्य शासन के दो मुख्य गुटों के बीच सत्ता संघर्ष की जड़ें 2019 के विद्रोह से पहले पनप चुकी थी, जिसने तानाशाह उमर अल-बशीर को अपदस्थ कर दिया था। उसने दुर्जेय सुरक्षा बलों का निर्माण किया था जिसे उसने जानबूझकर देश के सेना के खिलाफ खड़ा किया था। जब बशीर के पतन के बाद एक जनता द्वारा चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार का शासन 2022 की शुरुआत में लड़खड़ाने लगा तब खार्तूम में राजनयिकों चेतावनी दे डाली थी कि सेना एक बार फिर सत्ता हथियाने का प्रयास करेगा और इस बार रक्तपात नहीं रुकेगा ।

सैन्य प्रतिद्वंद्विता के पीछे की कहानी:

सूडान की केंद्र सरकार द्वारा स्थानीय लोगों के राजनीतिक और आर्थिक हाशिए पर जाने के कारण 20 साल पहले शुरू हुए दारफुर में विद्रोह को कुचलने के लिए बशीर द्वारा आरएसएफ की स्थापना की गई थी। 2013 में, बशीर ने जंजावीद (जंजावीद सूडान का अर्ध-संगठित, अर्धसैनिक बल, जिसने दारफुर व्यापक रूप से मानवाधिकारों का हनन किया था ) में आमूल-चूल परिवर्तन ले आया, परिवर्तन के दौरान बशीर ने अपने नेताओं को सैन्य अधिकारी बनाकर दक्षिण दारफुर में विद्रोह को कुचलने के लिएभेजा और बाद में जंजावीद को यमन में और लीबिया में चल रहे गृह युद्ध में भाग लेने के लिए भेजा था।

2019 में आरएसएफ का नेतृत्व हेमेदती के पास था, जो अब भी है , और बुरहान के अधीन सूडान की नियमित सैन्य बलों था, इन दोनों ने मिलकर बशीर को सत्ता से बाहर किया। इसके बाद आरएसएफ ने खार्तूम में सैन्य मुख्यालय के सामने आयोजित एक शांतिपूर्ण धरने को तितर-बितर करने के लिए हिंसा की , जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। अक्टूबर 2021 में सेना और सरकार के बीच शक्ति-साझाकरण की नीति बाधित हो गई और सेना एक बार फिर शासन में लौट आई

वर्तमान राजनीतिक अशांति:

तख्तापलट ने सेना को फिर से प्रभारी बना तो दिया लेकिन उसे विरोध, नए सिरे से अलगाव और गहराते आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। हेमेदती के शक्ति प्रदर्शन ने बुरहान के साथ उसके रिश्तो में तनाव पड़ा कर दिया है ।

नागरिको के विद्रोह के प्रमुख कारण सूडान की केंद्रीय सेना के नियमित सशस्त्र बलों से साथ आरएसएफ के एकीकरण की पहल है । आरएसएफ कभी भी मुख्य सेना के साथ एक होकर अपनी स्वायत्तता खोना नहीं चाहता है । इसके अलावा नागरिकों ने कृषि, व्यापार और अन्य उद्योगों में सेना की भागीदारी को जनता के हाथो में सौंपने का आह्वान किया है, लकिन ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि ये सेना के लिए यह आय का महत्वपूर्ण स्रोत है, सेना ने इन सबकी जिम्मदारी क्षेत्रीय लड़ाकों को सौंप राखी है जो बिना नियम और रोक टोक के काम करती है

विवाद का एक अन्य बिंदु 2003 से दारफुर में संघर्ष में सेना और उसके सहयोगियों द्वारा युद्ध अपराधों के आरोपों पर न्याय की मांग है। जून 2019 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की हत्याओं पर भी न्याय की मांग की जा रही है, जिसमें सैन्य बल शामिल हैं। आधिकारिक जांच में देरी से कार्यकर्ता और नागरिक समूह नाराज हो गए हैं। इसके अलावा, वे 2021 तख्तापलट के बाद से विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए कम से कम 125 लोगों के लिए न्याय की मांग है।

क्षेत्र के लिए परिणाम:

सूडान में अस्थिरता के आस-पास के क्षेत्रो के लिए भी समस्या का कारण है। सूडान रणनीतिक रूप से लाल सागर, साहेल क्षेत्र और हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका के बीच स्थित है, जो इसे क्षेत्र में व्यापार और स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण पारगमन बिंदु है। चल रहे संघर्षों और राजनीतिक अशांति के कारण व्यापार और प्रवास प्रवाह में रुकावट आ सकती है।

इथोपिया, चाड और दक्षिण सूडान सहित सूडान के सभी पड़ोसी राजनीतिक उथल-पुथल और संघर्षों से प्रभावित हुए हैं। सूडान और इथियोपिया के बीच संबंध, विशेष रूप से, उनकी सीमा के साथ विवादित कृषि भूमि जैसे मुद्दों पर तनावपूर्ण रहे हैं।

सूडान की स्थिति के भू-राजनीतिक आयाम भी हैं, जिसमें विभिन्न शक्तिशाली देश अपना दबदबा बनाने की होड़ में है । सूडान में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली शक्तियों में रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सूडान के राजनीतिक परिवर्तन को क्षेत्र में इस्लामवादी प्रभाव का मुकाबला करने के अवसर के रूप में देखते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ से बना “क्वाड”, सूडान में नागरिक-नेतृत्व वाली सरकार के शांतिपूर्ण हल का समर्थन करने के उद्देश्य से मध्यस्थता कर रहा है। पश्चिमी शक्तियाँ लाल सागर पर रूसी गतिविधियों की संभावना के बारे में चिंतित हैं, रूस की मध्यस्तता का सूडानी सैन्य नेताओं ने भी स्वागत किया है।

सूडान में और अधिक हिंसा और अस्थिरता की संभावना क्षेत्रीय स्तर पे फैल सकती है । पड़ोसी इथियोपिया में चल रहे संघर्ष ने पहले ही मानवीय संकट पैदा कर दिया है, और सूडान की स्थिति इस क्षेत्र में स्थिति को और खराब कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की यह सुनिश्चित करने में हिस्सेदारी है कि सूडान एक स्थिर और लोकतांत्रिक सरकार में परिवर्तन कर सकता है, और देश को क्षेत्रीय अस्थिरता का स्रोत बनने से रोक सकता है।

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Sudeep Chakravarty

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