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खगोलीय पिंडों पर पानी और अन्य रासायनिक पदार्थों की खोज कैसे की जाती है?

खगोलीय पिंडों पर पानी और अन्य रासायनिक पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक कई तकनीकों का उपयोग करते हैं। स्पेक्ट्रोस्कोपी के माध्यम से प्रकाश के विश्लेषण से विभिन्न तत्वों की पहचान होती है, जबकि रिमोट सेंसिंग और मास स्पेक्ट्रोमेट्री अंतरिक्ष यानों द्वारा सतह और वायुमंडल का गहन अध्ययन करती हैं। रडार और…

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किसी खगोलीय पिंड पर रासायनिक पदार्थों, जैसे पानी आदि की उपस्थिति का पता लगाने के लिए खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ सामान्य विधियाँ दी गई हैं:

स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy)

  • यह कैसे काम करती है: जब किसी खगोलीय पिंड (जैसे ग्रह, चंद्रमा, या तारा) से प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है या सतह से परावर्तित होता है, तो उसे स्पेक्ट्रोस्कोप की मदद से विभिन्न तरंगदैर्घ्यों (रंगों) में विभाजित किया जा सकता है। विभिन्न रासायनिक तत्व और यौगिक विशिष्ट तरंगदैर्घ्यों पर प्रकाश को अवशोषित या उत्सर्जित करते हैं, जिससे उनका विशिष्ट स्पेक्ट्रल “फिंगरप्रिंट” बनता है।
  • उपयोग: स्पेक्ट्रम में अवशोषण या उत्सर्जन लाइनों का विश्लेषण करके, वैज्ञानिक खगोलीय पिंड के वायुमंडल या सतह पर मौजूद विशिष्ट रासायनिक पदार्थों की पहचान कर सकते हैं।
  • उदाहरण: *एक्सोप्लैनेट्स के वायुमंडल में पानी की भाप की खोज इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा की गई है। चंद्रमा और मंगल पर पानी की खोज भी स्पेसक्राफ्ट में लगे स्पेक्ट्रोमीटरों द्वारा की गई थी।

स्पेसक्राफ्ट से रिमोट सेंसिंग

  • यह कैसे काम करती है: रिमोट सेंसिंग उपकरण जैसे स्पेक्ट्रोमीटर, रडार और कैमरों से लैस अंतरिक्ष यान परावर्तित प्रकाश, थर्मल विकिरण और सतह की संरचना को मापते हैं। कुछ उपकरण सतह या उपसतह की रासायनिक संरचना का पता लगाने में सक्षम होते हैं।
  • उपयोग: ये तकनीकें वैज्ञानिकों को जल बर्फ या खनिजों की पहचान करने की अनुमति देती हैं, जो अतीत में जल गतिविधि का संकेत देते हैं, जैसे बृहस्पति और शनि के चंद्रमाओं पर।
  • उदाहरण: मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) ने अपने स्पेक्ट्रोमीटरों के माध्यम से मंगल ग्रह पर जलयुक्त खनिज और बर्फ का पता लगाया है।

मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry)

  • यह कैसे काम करती है: कुछ मामलों में, लैंडर या रोवर्स खगोलीय पिंडों पर सीधे मिट्टी, चट्टान या वायुमंडल का विश्लेषण कर सकते हैं। ये उपकरण अक्सर मास स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करते हैं, जो आयनों का द्रव्यमान-से-आवेश अनुपात मापते हैं ताकि रासायनिक संरचना की पहचान की जा सके।
  • उपयोग: यह विधि खगोलीय पिंड से प्राप्त नमूनों के तत्वीय और आणविक संरचना के बारे में सटीक डेटा प्रदान करती है।
  • उदाहरण: नासा का क्यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह की मिट्टी में जैविक अणुओं और पानी का पता लगाने के लिए मास स्पेक्ट्रोमेट्री का उपयोग करता है।

रडार और रेडियो तरंगें

  • यह कैसे काम करती है: रडार सतहों को भेदकर बर्फ जैसी उपसतही विशेषताओं का पता लगा सकता है। रेडियो तरंगों के परावर्तन से भी सतह की संरचना और रासायनिक संरचना का पता चल सकता है।
  • उपयोग: यह तकनीक बर्फीले चंद्रमाओं या भूमिगत जल या बर्फ जमा का पता लगाने के लिए उपयोगी है।
  • उदाहरण: शनि के चंद्रमा टाइटन की सतह पर तरल मीथेन और एथेन की झीलों का पता लगाने के लिए कैसिनी अंतरिक्ष यान के रडार उपकरण का उपयोग किया गया था।

उल्कापिंड विश्लेषण

  • यह कैसे काम करता है: पृथ्वी पर गिरने वाले उल्कापिंड अक्सर क्षुद्रग्रहों, चंद्रमाओं या मंगल से आते हैं। वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में इन नमूनों का विश्लेषण करते हैं, जिसमें स्पेक्ट्रोस्कोपी, एक्स-रे डिफ्रेक्शन, और मास स्पेक्ट्रोमेट्री जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • उपयोग: इन अध्ययनों से बिना किसी अंतरिक्ष मिशन के खगोलीय पिंडों की रासायनिक संरचना का पता चलता है।
  • उदाहरण: मंगल के उल्कापिंडों में जलयुक्त खनिजों का पता लगाने से मंगल पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि हुई।

गुरुत्वाकर्षण और घनत्व माप

  • यह कैसे काम करती है: खगोलीय पिंडों की गुरुत्वाकर्षण बातचीत का अध्ययन करके वैज्ञानिक उनके द्रव्यमान और घनत्व का अनुमान लगा सकते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि कोई पिंड चट्टान, धातु, पानी या गैस से बना है।
  • उपयोग: यह तकनीक चंद्रमाओं या बौने ग्रहों की सतह के नीचे पानी की बर्फ या अन्य अस्थिर पदार्थों की बड़ी मात्रा का पता लगाने में मदद करती है।
  • उदाहरण: बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करने से पता चला कि उसके गुरुत्वाकर्षण और अन्य चंद्रमाओं के साथ बातचीत के कारण उसके नीचे एक उपसतही महासागर हो सकता है।

निष्कर्ष

यह स्पष्ट होता है कि खगोलीय पिंडों पर पानी और अन्य रासायनिक तत्वों की खोज के लिए वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली विभिन्न तकनीकें जैसे स्पेक्ट्रोस्कोपी, रिमोट सेंसिंग, और मास स्पेक्ट्रोमेट्री अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये विधियाँ हमें न केवल हमारे सौर मंडल के भीतर, बल्कि बाहरी एक्सोप्लैनेट्स पर भी जल और जीवन की संभावनाओं का पता लगाने में सहायता करती हैं। अंतरिक्ष अन्वेषण के इन प्रयासों से हम ब्रह्मांड की संरचना और उसमें जीवन की संभावना के बारे में गहरे और महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।

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Sudeep Chakravarty

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नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम सुदीप चक्रवर्ती है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ । नए-नए विषयो के बारे में पढ़ना, लिखना मुझे पसंद है, और उत्सुक हिंदी के माध्यम से उन विषयो के बारे में सरल भाषा में आप तक पहुंचाने का प्रयास करूँगा।

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