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भगवान राम का दिव्य जन्म – The Divine Birth of Lord Rama

राम नवमी, सनातनियों के आदर्श भगवान राम के जन्म के दिवस के रूप में मनाया जाता है। रामायण और पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार, भगवान राम का जन्म चैत्र मास के नवमी के दिन हुआ था।

The Divine Birth of Lord Rama

कोसल साम्राज्य एक समृद्ध राज्य है जिसका विस्तार अवध के क्षेत्र से लेकर पश्चिमी ओडिशा तक फैला है ।  इसी जनपद में सरयू नदी के तट पर बसी अयोद्धा नगरी है, यहां परम प्रतापी, सूर्यवंशी महाराज दशरथ का शासन है ।  महाराज के पुण्य के प्रताप से यहाँ नगरवासी भी धर्म का समुचित पालन करने वाले है ।  

सारे सुख और वैभव होने के बाद भी महाराज दशरथ को एक दुःख दिवा-रात्रि सताए जाता है कि उनको कोई पुत्र संतान नहीं है इतने बड़े साम्राज्य का क्या होगा, सूर्यवंश आगे कैसे बढ़ेगा, बिना उत्तराधिकारी के पडोसी साम्राज्य उचित समय देखकर आक्रमण भी कर सकते है, ऐसी तमाम चिन्ताये महाराज को घेरे रहती है ।

धीरे-धीरे आयु भी बढ़ रही है, अब कुछ न कुछ उपाय तो करना ही पड़ेगा, इन मानसिक प्रश्नो के साथ महाराज अपने गुरु वशिष्ठ के पास आते है ।  राजा की मानसिक दशा देखने और सुनने के पश्चात, वशिष्ठ महाराज से कहते है कि “हे राजन आप चिंता न करे विभाण्डक ऋषि के पुत्र श्रृंगी वेदो के परम ज्ञाता है, आप उन्हें बुलाये और उनके द्वारा पुत्र कामेष्टि यज्ञ सम्पन्न कराये, आपका कल्याण अवश्य होगा”।

राजा ने गुरु के आज्ञा अनुसार श्रृंगी ऋषि को बुलाकर यज्ञ का आयोजन किया ।  विधि-विधान से यज्ञ प्रारम्भ हुआ, शास्त्र विधि अनुसार आहुति दी गई ।  सभी देवता, सिद्ध, गंधर्व आदि अपना-अपना भाग लेने के लिए प्रकट हुए । अंत में स्वयं अग्निदेव ने प्रकट होकर आहुति स्वीकार किया ।  तत्पश्चात उन्होंने राजा दशरथ को देवों द्वारा निर्मित खीर भेंट की और कहा – “राजन इस प्रसाद को ग्रहण करो और अपने योग्य पत्नियों को बराबर भागो में बांटकर खिला दो, उनके गर्भ से तुम्हें चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति होगी” ।  

राजा, अग्नि देव के आज्ञानुसार अपनी तीनों पत्नियों – कौसल्या, सुमित्रा और कैकयी में खीर बराबर भागो में बाँट देते है।   कालानुसार रानियाँ गर्भवती होती है ।  और फिर उस शुभ समय का आगमन होता है जब भगवान स्वयं मानव रूप धरने के लिए प्रस्तुत है ।  

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को प्रभु अवतरित होते है, प्रसव के ठीक बाद महारानी कौसल्या का कमरा दिव्य प्रकाश से भर जाता है, और वह हतप्रभ होकर देखती है, स्वयं चतुर्भुज श्री हरि, शंख, चक्र, गदा और पद्म लिए हुए उनके सामने उपस्थित है 

गोस्वामी श्री तुलसीदास ने रामचरित मानस के बालकाण्‍ड मे इस घटना का अद्भुत वर्णन किया है ।  

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्‍या हितकारी ।  
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी  ॥

माता कौसल्या जी के हित करने वाले और दीन दुखियों पर दया करने वाले कृपालु भगवान आज प्रकट हुये (मानव रूप में जन्म में लिए है) ।   मुनियों के मन को हरने वाले अर्थात मन में उठने वाले वृत्तियों के नाश करने वाले  भगवान के अद्भुत रूप का विचार करते ही सभी मातायें (कौसल्या, सुमित्रा और कैकयी ) हर्ष से भर गयी है ।  

लोचन अभिरामा, तनु घनस्‍यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी  ॥

जिनका दर्शन नेत्रों को परम सुख प्रदान करता है, जिनका शरीर मेघो के जैसा श्‍याम रंग का है (जिस प्रकार वर्षा बादल काले रंग के होते है क्योंकि वह अपने अंदर अनंत जल राशि समेटे रहते है और पानी की वर्षा कर पृथ्वी और  पृथ्वी वासियों को संतुष्टि प्रदान करते है) उन्होंने अपनी चारों भुजाओं में अपने शस्त्र धारण किये हुये हैं ।    जो वन माला को आभूषण के रूप में धारण किये हुये हैं, जिनके नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है तथा जिनकी कीर्ति समुद्र की तरह अपूर्णनीय है ऐसे खर नामक राक्षस का वध करने वाले प्रभु आज प्रकट हुये हैं ।  

कह दुई कर जोरी, अस्‍तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता ।  
माया गुन ग्‍यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता ॥

दोनों हाथ जोड़कर कौसल्या माता कहने लगी- हे प्रभु आप तो अनंत है अर्थात आपको जानने के सामर्थ्य मेरे अंदर नहीं है,  हम आपकी स्तुति और पूजा किस विधि से करें, क्योंकि वेदों और पुराणों ने तुम्हें माया, गुण और ज्ञान से भी परे बताया है ।  

करूना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता  ॥

माता कौसल्या आगे स्तुति करती है – दया, करुणा और आनंद के सागर तथा सभी गुणों के धाम ऐसा श्रुति और संत जन जिनके बारे में हमेशा बखान करते रहते हैं ।   जन-जन पर अपनी प्रीति रखने वाले ऐसे श्री हरि नारायण भगवान आज मेरा कल्याण करने हेतु प्रकट हुये हैं ।  

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै  ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥

जिनके रोम-रोम में कई ब्रम्‍हाण्‍डों का सृजन होता है और जिन्होंने ही संपूर्ण माया का निर्माण किया है (भगवान विष्णु जो मायापति है ), ऐसा वेदों का कथन हैं ।   माता कहती हैं कि ऐसे भगवान मेरे गर्भ में रहे, यह बहुत ही आश्चर्य और सुनने और विचार करने में हास्यास्पद बात है, क्योंकि जो भी धीर व ज्ञानी जन यह घटना सुनते हैं वे अपनी बुद्धि खो बैठते हैं (अर्थात निराकार ब्रम्ह का साकार रूप धारण करना ज्ञानियों के समझ के परे है ) ।  

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।  
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥

कौसल्या माता को इस प्रकार की ज्ञानवर्धक बातें कहते देख प्रभु मुस्कराने लगे और सोचने लगे कि माता को मेरे असली स्वरूप का ज्ञान हो गया है ।   प्रभु अवतार लेकर कई प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं ।   तब प्रभु ने पूर्व जन्‍म की कथा माता को सुनाई और उन्हें समझाया कि वे किस प्रकार से उन्हें अपना वात्सल्य प्रदान करें और पुत्र की भांति प्रेम करें ।   

माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा ।  
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥

प्रभु की यह बातें सुनकर माता कौसल्या की बुद्धि में परिवर्तन हो गया और वे कहती है, हे प्रभु अब आप अपने इस दिव्य रूप को छोड़कर बाल्‍य रूप धारण करें और शिशु की तरह ही लीला करें क्योंकि माता के लिए यहीं  सबसे प्रिय है और परम सुख प्रदान करने वाला है 

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा  ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥

माता के वचन सुनकर, सबके अंतर्मन के स्वामी, बालक रूप में प्रकट होकर बच्‍चों की तरह ( ठान के अर्थात रोने का संकल्प कर ) रोने लगे ।   बाबा श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान के स्‍वरूप का यह सुंदर चरित्र जो कोई भी भाव से गाता है, वह भगवान के परम पद को प्राप्‍त होता है और दोबारा इस संसार रूपी कुंए में गिरने से मुक्त हो जाता है ।  

दोहा:

बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।  
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥

धर्म की रक्षा करने वाले ब्राम्‍हणों, धरती का उद्धार करने वाली गौ माता, देवताओं और संतों का हित करने के लिए भगवान श्री हरि ने राम रूप में अवतार लिया।  

सभी पाठकवृन्द को राम नवमी की हार्दिक बधाई।

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Sudeep Chakravarty

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नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम सुदीप चक्रवर्ती है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ । नए-नए विषयो के बारे में पढ़ना, लिखना मुझे पसंद है, और उत्सुक हिंदी के माध्यम से उन विषयो के बारे में सरल भाषा में आप तक पहुंचाने का प्रयास करूँगा।

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