नैदानिक परीक्षण (Clinical Trials) एक प्रकार का शोध है जो नए परीक्षणों और उपचारों का अध्ययन करता है और मानव स्वास्थ्य परिणामों पर उनके प्रभावों का मूल्यांकन करता है। नैदानिक परीक्षण में लोग, स्वेच्छा से (Voluntarily), दवाओं, कोशिकाओं और अन्य जैविक उत्पादों, सर्जिकल प्रक्रियाओं, रेडियोलॉजिकल प्रक्रियाओं, उपकरणों, व्यवहार उपचार और निवारक आदि का प्रयोग विशेषज्ञों की निगरानी में करते हैं।
नैदानिक परीक्षणों को सावधानीपूर्वक नियोजन और समीक्षा करने के बाद निष्पादित किया जाता है, और शुरू होने से पहले उन्हें सरकारी संस्थाओ द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता भी होती है। बच्चों सहित सभी उम्र के लोग नैदानिक परीक्षणों में भाग ले सकते हैं।
बायोमेडिकल क्लिनिकल परीक्षण के ४ चरण (Four Phases) हैं:
- चरण १ में आमतौर पर एक सुरक्षित खुराक का मूल्यांकन करने और उसके दुष्प्रभावों की पहचान करने के लिए, लोगों के एक छोटे समूह में पहली बार नई दवाओं का परीक्षण किया जाता है । परीक्षण में भाग लेने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर दवा का क्या प्रभाव पड़ रहा है, विशेषज्ञ इसकी सूक्ष्मता से जाँच करते है ।
- चरण २ में उन परीक्षण उपचारों का अध्ययन करता है जो चरण १ में सुरक्षित पाए गए हैं लेकिन अब किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की निगरानी अथवा समीक्षा के लिए मानव विषयों के एक बड़े समूह की आवश्यकता होती है ।
- चरण ३ का अध्ययन बड़ी आबादी पर और विभिन्न क्षेत्रों और देशों में आयोजित किए जाते हैं, और अक्सर एक नए उपचार को मंजूरी देने से पहले तीसरे चरण के प्रयोग होते है ।
- चरण ४ का अध्ययन देश में उपचार की मंजूरी के बाद होता है और लंबे समय तक व्यापक आबादी में आगे के परीक्षण किये जाते है ।
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Sudeep Chakravarty
नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम सुदीप चक्रवर्ती है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ । नए-नए विषयो के बारे में पढ़ना, लिखना मुझे पसंद है, और उत्सुक हिंदी के माध्यम से उन विषयो के बारे में सरल भाषा में आप तक पहुंचाने का प्रयास करूँगा।
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