नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच/NIH), ने अभी हाल ही में यह घोषणा की है कि , “सार्वभौमिक (Universal)” इन्फ्लूएंजा A वैक्सीन उम्मीदवार (candidate), बीपीएल-1357 के लिए प्रथम चरण के नैदानिक परीक्षण (Clinical Trials), उनके क्लिनिकल सेंटर में चल रहे है। पशुओं पर किये गए अध्ययन, जिनकी अभी तक सहकर्मी समीक्षा (peer review) नहीं हुई है, में यह सामने आया है कि, जिन चूहों और फेरेट्स को 6 अलग-अलग फ्लू उपभेदों (strains) वाली वैक्सीन्स की घातक खुराक दिया गया था वह अभी भी जीवित है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, जिसे आमतौर पर एनआईएच (NIH) के नाम से जाना जाता है, संयुक्त राज्य सरकार (USA) की प्राथमिक एजेंसी है जो जैव चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए जिम्मेदार है।
वैक्सीन्स में चार β-प्रोपियोलैक्टोन-निष्क्रिय कम रोगजनकता (pathogenicity) एवियन इन्फ्लूएंजा A वायरस के उपप्रकार H1N9, H3N8, H5N1 और H7N3 शामिल हैं। टीका लगाए गए चूहों और फेरेट्स ने विभिन्न इन्फ्लूएंजा ए वायरस के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा का प्रदर्शन किया, जिसमें 1918 H1N1 स्ट्रेन, अत्यधिक रोगजनक एवियन H5N8 स्ट्रेन और H7N9 भी शामिल हैं।
परीक्षण के दौरान 18 से 55 वर्ष की आयु के 100 स्वस्थ वयस्कों को बेतरतीब ढंग से, 28 दिनों के अंतराल में, टीके के २ खुराक, जिसमें एक सक्रिय इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन और एक इंट्रानैसल प्लेसीबो अथवा एक इंट्रानैसल वैक्सीन और इंट्रामस्क्युलर प्लेसीबो, या 2 प्लेसीबो दिया जायेगा।
दूसरी ओर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे वायरस वैक्सीन की तैयार कर रही है जो आम तौर से होने वाले प्राकृतिक संक्रमण (सर्दी-जुकाम) के समय शरीर में अपने आप होने वाली व्यापक सेलुलर और म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से प्रेरित है । 7 महीनो तक मासिक रूप से लिए गए रक्त और नाक के म्यूकोसल के नमूने पर परीक्षण कर म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे संक्रमण से बचाव करती है इस पर शोध किया जायेगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) 27 संस्थानों और केंद्रों में से है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) का निर्माण करते हैं।
दुनिया भर में, इन्फ्लूएंजा लगभग ३० लाख से ५० लाख लोग के लिए गंभीर बीमारियों का कारण बनता है और सालाना इससे 650000 तक मौतें होती हैं। नए इन्फ्लूएंजा उपभेदों की महामारी जिनके लिए एक बड़ी आबादी में कोई प्रतिरक्षा (immunity) नहीं है – जैसे कि 1918 का प्रकोप जिसके कारण कम से कम 5 करोड़ मौतें हुईं और COVID-19 महामारी जिसके कारण साल 2020 से अब तक 65 लाख से अधिक जाने जा चुकी है – मौसमी प्रकोपों (seasonal outbreaks) की तुलना में कई गुना अधिक घातक हैं।
यदि मनुष्यों पर यह नए वैक्सीन्स सफल हो जाते है, ऐसे टीके जो मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ-साथ महामारी के खिलाफ भी लोगों की दीर्घकालिक तक सुरक्षा प्रदान कर सके, तो भविष्य में यह टीके अमूल्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण होंगे।
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Sudeep Chakravarty
नमस्कार दोस्तों ! मेरा नाम सुदीप चक्रवर्ती है और मैं बनारस का रहने वाला हूँ । नए-नए विषयो के बारे में पढ़ना, लिखना मुझे पसंद है, और उत्सुक हिंदी के माध्यम से उन विषयो के बारे में सरल भाषा में आप तक पहुंचाने का प्रयास करूँगा।
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